नीम करौली बाबा
नीब करौरी बाबा या नीम करौरी बाबा या महाराजजी (१९००-११ सितंबर १९७३)[3] [4] की गणना बीसवीं शताब्दी के सबसे महान संतों में होती है।[5 इनका जन्म स्थान ग्राम अकबरपुर जिला फ़िरोज़ाबाद उत्तर प्रदेश है जो कि हिरनगाँव से 1किलोमीटर मीटर दूरी पर है।[6] कैंची, नैनीताल, भुवाली से ७ कि॰मी॰ की दूरी पर भुवालीगाड के बायीं ओर स्थित है। कैंची मन्दिर में प्रतिवर्ष १५ जून को वार्षिक समारोह मानाया जाता है। उस दिन यहाँ बाबा के भक्तों की विशाल भीड़ लगी रहती है। महाराजजी इस युग के भारतीय दिव्यपुरुषों में से हैं।[10] श्री नीम करोली बाबा को हम महाराज जी कहते है| neem-karoli-baba
कैसे कहे जाने लगे बाबा नीम करोली
एक बार बाबा फर्स्ट क्लास कम्पार्टमेंट में सफर कर रहे थे. जब टिकट चेकर आया तो उनके पास टिकट नहीं था. तब उन्हें अगले स्टेशन ‘नीब करोली’ में ट्रेन से उतार दिया गया. बाबा थोड़ी दूर पर अपना चिपटा धरती में गाड़कर बैठ गए. गार्ड ने ट्रेन को हरी झंडी दिखाई लेकिन ट्रेन एक इंच भी आगे नहीं हिली. बाद में बाबा से माफी मांगने के बाद उन्हें ससम्मान ट्रेन में बिठाया गया. उनके बैठते ही ट्रेन चल पड़ी. तभी से बाबा का नाम नीम करोली पड़ गया.neem-karoli-baba
जीवन
उनका जन्म एक धनी ब्राह्मण परिवार में हुआ, ११ वर्ष की उम्र में उनके माता-पिता द्वारा शादी कर दिए जाने के बाद, उन्होंने साधु बनने के लिए घर छोड़ दिया। बाद में वह अपने पिता के अनुरोध पर, वैवाहिक जीवन जीने के लिए घर लौट आए। वह दो बेटों और एक बेटी के पिता बने।[11]
ऐसा माना जाता है कि जब तक महाराजजी १७ वर्ष के थे उनको इतनी छोटी सी आयु मे सारा ज्ञान था| बताते है , भगवान श्री हनुमान उनके गुरु है| उन्होंने भारत में कई स्थानों का दौरा किया और विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से जाने जाते थे। गंजम में मां तारा तारिणी शक्ति पीठ की यात्रा के दौरान स्थानीय लोगों ने उन्हें हनुमानजी, चमत्कारी बाबा के नाम से संबोधित किया करते थे।neem-karoli-baba
कहा जाता है कि एक बार बाबा ट्रेन में सफर कर रहे थे।लेकिन उनके पास टिकट नहीं था। जिस कारण टीटी अफसर ने उन्हें पकड़ लिया। बिना टिकट होने के कारण अफसर ने उन्हें अगले स्टेशन में उतरने को कहा।स्टेशन का नाम नीम करोली था।स्टेशन के पास के गांव को नीम करोली के नाम से जाना जाता है। बाबा को गाड़ी से उतार दिया गया और ऑफिसर ने ड्राइवर से गाड़ी चलाने का आदेश दिया। बाबा वहां से कहीं नहीं गए। उन्होंने ट्रेन के पास ही एक चिमटा धरती पर लगाकर बैठ गए।[12]neem-karoli-baba
चालक ने बहुत प्रयास किया लेकिन ट्रेन आगे ना चली। ट्रेन आगे ना चलने का नाम ही नहीं ले रही थी। तभी गाड़ी में बैठे सभी लोगों ने कहा यह बाबा का प्रकोप है।उन्हें गाड़ी से उतार देने का कारण ही है कि गाड़ी नहीं चल रही है। तभी वहां बड़े ऑफिसर जो कि बाबा से परिचित थे। उन्होंने बाबा से क्षमा मांगी और ड्राइवर और टिकट चेकर दोनों को बाबा से माफी मांगने को कहा।सब ने मिलकर बाबा को मनाया और उनसे माफी मांगी। माफी मांगने के बाद बाबा ने सम्मानपूर्वक ट्रेन पर बैठ गए। लेकिन उन्होंने यह शर्त रखी कि इस जगह पर स्टेशन बनाया जाएगा।जिससे वहां के गांव के लोग को ट्रेन में आने के लिए आसानी हो जाए क्योंकि वहां लोग आने के लिए मिलो दूर से चलकर आते थे। तब जाकर ट्रेन में बैठ पाते थे।उन्होंने बाबा से वादा किया और वहां पर नीम करोली नाम का स्टेशन बन गया। यहीं से बाबा की चमत्कारी कहानियां प्रसिद्ध हो गई और इस स्थान से पूरी दुनिया में बाबा का नाम नीम करोली बाबा के नाम से जाना जाने लगा।यही से बाबा को नीम करोली नाम मिला था।[13]neem-karoli-baba
शिक्षा
पूर्व में यहाँ के नोनिहालो को शिक्षा प्राप्त करने के लिए हिरनगाँव प्राथमिक पाठशाला में जाते थे परंतु बर्तमान में अकबरपुर में भी शिक्षा प्राप्त करने हेतु विद्यालय है।
आश्रम
नीम करोली बाबा के आश्रम भारत में कैंची, भूमियाधार, काकरीघाट, कुमाऊं की पहाड़ियों में हनुमानगढ़ी, वृन्दावन, ऋषिकेश, लखनऊ, शिमला, फर्रुखाबाद में खिमासेपुर के पास नीम करोली गांव और दिल्ली में हैं।[14][15] उनका आश्रम ताओस, न्यू मैक्सिको, संयुक्त राज्य अमेरिका में भी स्थित है।[16][17]
उल्लेखनीय शिष्य
नीम करोली बाबा के उल्लेखनीय शिष्यों में आध्यात्मिक शिक्षक राम दास (बी हियर नाउ के लेखक), गायक और आध्यात्मिक शिक्षक भगवान दास, लेखक और ध्यान शिक्षक लामा सूर्य दास और संगीतकार जय उत्तल और कृष्ण दास शामिल हैं। अन्य उल्लेखनीय भक्तों में मानवतावादी लैरी ब्रिलियंट और उनकी पत्नी गिरिजा, दादा मुखर्जी (इलाहाबाद विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश, भारत के पूर्व प्रोफेसर), विद्वान और लेखक यवेटे रोसेर, अमेरिकी आध्यात्मिक शिक्षक मा जया सती भगवती, फिल्म निर्माता जॉन बुश और डैनियल गोलेमैन लेखक शामिल हैं।ध्यान संबंधी अनुभव और भावनात्मक बुद्धिमत्ता की विविधताएँ। बाबा हरि दास (हरिदास) कोई शिष्य नहीं थे, लेकिन उन्होंने १९७१ की शुरुआत में कैलिफोर्निया में आध्यात्मिक शिक्षक बनने के लिए अमेरिका जाने से पहले (१९५४-१९६८) कई इमारतों की देखरेख की और नैनीताल क्षेत्र में आश्रमों का रखरखाव किया।[18] [19][20]neem-karoli-baba
स्टीव जॉब्स ने अपने मित्र डैन कोट्टके के साथ हिंदू धर्म और भारतीय आध्यात्मिकता का अध्ययन करने के लिए अप्रैल १९७४ में भारत की यात्रा की; उन्होंने नीम करोली बाबा से मिलने की भी योजना बनाई, लेकिन वहां पहुंचे तो पता चला कि गुरु की पिछले सितंबर में मृत्यु हो गई थी।[21] हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स भी नीम करोली बाबा से प्रभावित थीं। उनकी एक